Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व पर देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की विधिवत पूजा की जाती है। इस दौरान देशभर के मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होते हैं, संध्या आरती की जाती है और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इस पावन समय में माता रानी की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तगण दान-पुण्य भी करते हैं।
Chaitra Navratri का महत्व
चैत्र मास को देवी दुर्गा की भक्ति के लिए विशेष माना जाता है। इस दौरान साधक देवी दुर्गा की पूजा कर उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। वहीं, जो लोग विशेष विद्याओं में निपुणता प्राप्त करना चाहते हैं, वे कठोर साधना करते हैं। नवरात्रि के दिनों में व्रत रखने और मां की आराधना करने से साधक को इच्छित फल प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
चैत्र नवरात्रि भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखती है। इस दौरान सात्विक जीवन शैली अपनाने का संदेश दिया जाता है। कई राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है – कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इसे उगादी, कश्मीर में नवरेह कहा जाता है। साथ ही, चैत्र नवरात्रि से ही हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है।
दुर्गा अष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 4 अप्रैल 2025 को रात 08:12 बजे से प्रारंभ होगी और 5 अप्रैल 2025 को शाम 07:26 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए 5 अप्रैल 2025 को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी।
दुर्गा अष्टमी के विशेष योग
इस वर्ष दुर्गा अष्टमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं।
- भद्रावास योग का संयोग रहेगा, जो इस दिन को और अधिक शुभ बनाएगा।
- पुनर्वसु नक्षत्र में माता की पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा और जीवन में सुख-समृद्धि आएगी।
- सुकर्मा योग बनने से इस दिन किए गए शुभ कार्यों का कई गुना फल प्राप्त होगा।
दुर्गा अष्टमी 2025 का पंचांग
- सूर्योदय: सुबह 06:07 बजे
- सूर्यास्त: शाम 06:41 बजे
- चंद्रोदय: दोपहर 11:41 बजे
- चंद्रास्त: रात 02:19 बजे
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:20 बजे तक
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:35 से 05:21 बजे तक
- निशिता मुहूर्त: रात 12:01 से 12:46 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:40 से 07:03 बजे तक