अंबादास दानवे ने आरोप लगाया कि जब भी कोई महत्वपूर्ण मुद्दा उठाने का प्रयास किया जाता है, तो सत्तारूढ़ बेंच तुच्छ विवादों को सामने लाकर उसे विफल कर देती है।
कुणाल कामरा ने किया नरेंद्र मोदी पर खुला हमला
शिवसेना नेता अंबादास दानवे ने बुधवार को कहा कि भाजपा हास्य अभिनेता कुणाल कामरा द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे कटाक्ष करने पर चुप रही, लेकिन उसके पैरोडी गीत पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें एकनाथ शिंदे का नाम नहीं लिया गया।
बजट सत्र के अंत में विधानमंडल परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता दानवे ने आरोप लगाया कि जब भी कोई महत्वपूर्ण मुद्दा उठाने का प्रयास किया जाता है, तो सत्तारूढ़ बेंच तुच्छ विवादों को सामने लाकर उसे विफल कर देते हैं।
उन्होंने दावा किया, “कुणाल कामरा ने अपने शो में सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की और भाजपा ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। लेकिन वही पार्टी एक पैरोडी गाने पर नाराज थी, जिसमें शिंदे का नाम तक नहीं था। ऐसा लगता है कि भाजपा कामरा को निशाना बनाने के लिए शिंदे का इस्तेमाल कर रही है।”
उपमुख्यमंत्री शिंदे के समर्थकों ने रविवार रात मुंबई के एक स्टूडियो में तोड़फोड़ की, जहां कामरा के शो की शूटिंग हुई थी । कामरा का पैरोडी गाना वायरल होने के बाद मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया है। वहीं, इससे पहले दिन में भाजपा के एक विधायक ने विधान परिषद में उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया था।
दानवे ने कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी चिंता जताते हुए कहा कि विभिन्न आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे 10 से 12 मंत्रियों के बारे में शिकायतें की गईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बुलढाणा के एक पुरस्कार विजेता किसान ने आत्महत्या कर ली। बुलढाणा में विकास परियोजनाएं केवल कागजों पर ही रह गई हैं। प्रशांत कोरटकर के बयान और राहुल सोलापुरकर मामले जैसे मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया गया है।”
मराठी अभिनेता सोलापुरकर और नागपुर के पत्रकार कोरटकर पर 17वीं सदी के प्रतिष्ठित मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है।
दानवे ने कहा, ”जब भी हमने जन सरोकार के मुद्दे उठाए, चर्चा को दिशा सालियान, औरंगजेब की कब्र या कुणाल कामरा जैसे मामलों की ओर मोड़ दिया गया।” उन्होंने आरोप लगाया कि चर्चा को सुविधाजनक बनाने के बजाय, सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना–राकांपा गठबंधन के विधायक सदन के वेल में घुस गए और बहस से बचने के लिए नारे लगाने लगे।
विपक्ष के नेता ने दावा किया, “यह सुनिश्चित करना सत्तारूढ़ पार्टी का काम है कि सदन सुचारू रूप से चले, लेकिन वे ही इसमें सबसे ज्यादा व्यवधान पैदा करने वाले लोग हैं।”
उन्होंने सार्वजनिक मुद्दों पर गंभीर बहस की आवश्यकता पर बल दिया और सत्ता पक्ष से परिषद में शिष्टाचार और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया।