उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूछा कि महाकुंभ के लिए केंद्र ने कितना बजट आवंटित किया है।
महाकुंभ से 1000 हिंदू श्रद्धालु लापता
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को दावा किया कि प्रयागराज में महाकुंभ में गए लगभग 1,000 हिंदू श्रद्धालु लापता हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने पूछा कि महाकुंभ के लिए केंद्र ने कितना बजट आवंटित किया है।
पीटीआई ने संसद परिसर के बाहर यादव के बयान के हवाले से बताया, “क्या कोई कल्पना कर सकता है कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री यह तय कर रहे थे कि वाहन कहां पार्क किए जाएंगे। कई आईपीएस अधिकारी लोगों को स्नान के लिए जाने से रोक रहे थे और कह रहे थे कि उनके पास उन्हें सुविधा देने की क्षमता नहीं है।”
उन्होंने कहा, “लोगों को सीमाओं पर रोका जा रहा है। केंद्र सरकार ने महाकुंभ के लिए राज्य सरकार को बजट दिया होगा – इसका उल्लेख किया जाना चाहिए। ऐसे समय में जब इतिहास के पन्ने पलटे जा रहे हैं, सबसे ज्यादा जान का नुकसान हिंदू श्रद्धालुओं का हुआ है।”
यादव ने कहा, “भाजपा और उसके लोगों को महाकुंभ में अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों की मदद करनी चाहिए। अभी भी कुंभ से 1000 हिंदू लापता हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है। भाजपा को उन 1000 लोगों के बारे में जानकारी देनी चाहिए जो लापता हैं।”
यादव ने कहा, “सरकार को लापता हिंदू भाइयों को ढूंढ़कर उन्हें उनके परिवारों से मिलाना चाहिए। लोग लापता लोगों के पोस्टर लगाते हैं और सरकार उन्हें भी हटवा रही है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि प्रयागराज में हाल ही में सम्पन्न महाकुंभ भारत के इतिहास में एक निर्णायक क्षण था।
पीटीआई ने प्रधानमंत्री के हवाले से लोकसभा में कहा, “लोगों ने अपना अहंकार त्याग दिया और प्रयागराज में ‘मैं’ की नहीं बल्कि ‘हम’ की भावना के साथ एकत्र हुए। महाकुंभ ने दिखा दिया कि बड़े और छोटे के बीच कोई भेद नहीं है – यह भारत की अपार शक्ति को दर्शाता है। इसने पुष्टि की कि एकता का गहन तत्व हमारे भीतर गहराई से समाया हुआ है।”
मोदी ने कहा, ‘‘हमारे देश ने भी ऐसे क्षण देखे हैं, जिन्होंने इसे एक नई दिशा दी और देशवासियों को जागृत किया… इसी तरह, हमारे स्वतंत्रता संग्राम में भी कई ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ आए – 1857 का विद्रोह, वीर भगत सिंह की शहादत, नेताजी सुभाष चंद्र बोस का ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान और महात्मा गांधी की दांडी यात्रा।’’